राम राज्य
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहि ब्यापा
सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।
यह पेंटिंग कलाकार द्वारा रामराज्य की परिकल्पना है। प्रकृति में एक दूसरे के विरोधाभास वाले जीव जंतु भी मर्यादापुरु षोत्तम राम के पास परस्पर सामंजस्य में विचरण कर रहे है। जलप्रवाह के पास हिरण और चीता, सर्प और नेवला, बंदर और स्वान सब सौहार्द के साथ आनन्दमय है। यह चिझाण दर्शाता है कि संसार में मतभेद एवं असमानताओं के बीच भी सौहार्द की स्थापना ही राम राज्य की परिकल्पना है।
प्रभु राम का जीवन चरिझा समस्त मानवजाती के लिया आदर्श है एवं इनका आंशिक अनुसरण करके मनुष्य जीवन की उच्चतम संभावना तक पहुँच सकता है।